दोस्त
मिल जाते हैं बहारों में
और कभी ज़िंदगी की राहों में
कुछ अजनबी से, कुछ पहचाने से
कभी अनकहे से अफ़सानों से
ज़िंदगी के इस सफ़र में
चंद लम्हों के साथों ही में
दे जाते हैं मायने जैसे
बंदिशों के बिस्तारों से
मिल जाते हैं बहारों में
और कभी ज़िंदगी की राहों में
कुछ अजनबी से, कुछ पहचाने से
कभी अनकहे से अफ़सानों से
ज़िंदगी के इस सफ़र में
चंद लम्हों के साथों ही में
दे जाते हैं मायने जैसे
बंदिशों के बिस्तारों से
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