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Ranjish hi sahi - extended N, - N,D,N, - S —- N, D, N, - M, D,N, - M,D,N R- N,D,N, S - N,RG - NR GM’ R - GR N, - D,N, R G R S-  दर से तेरे   छू कर के जो आती हैं   हवाएँ दर से तेरे   छू कर के जो आती हैं   हवाएँ उनमें तेरी ख़ुशबू है , छुपाने के लिए आ आ आ   रंजिश ही सही आ फिर से   इल्ज़ाम - इल्ज़ाम - इल्ज़ाम - इल्ज़ाम इल्ज़ाम ले के आये हैं नफ़रत - ज़दा साये इल्ज़ाम ले के आये हैं नफ़रत - ज़दा साये ग़र इसकी सज़ा है तो सुनाने के लिए आ आ आ   पलकें - पलकें - पलकें पलकें जो - उठाईं थीं -  तू ने जो मेरी ओर   शम्मे … शम्मे - जल उठे हैं , बुझाने के लिए आ आ आ   आ फिर से मेरे पास जे जाने के लिये आ आ आ  
आईनों में ना ढूँढ़ते फिरो ख़ुद को मैंने तस्वीरों में पिरो रखा है तुमको तुम्हारे आईने के अक्सों में तो सिर्फ़ तुम्हारी अधूरी परछाइयों हैं मेरी आँखों से देखो ख़ुद को इनमें तुम्हारे वजूद कि गहराइयाँ हैं

मुस्कराहटें

तुम पर निसार होना तो थी मेरी मंज़िल शुक्र है , तुम्हारी मुस्कुराहटों ने रास्ता दिखा दिया

इंतज़ार

इन्तज़ार क्या है कौन है ये दर्द का सौदागर ? क्यों देता है ये , एक टीस , एक चुभन   क्या है , ये हज़ारों बेचैनियाँ का सफ़र ? या फिर , है ये , एक इम्तहान जिसके परे एक वादा है , मंज़िल - ए - सुकून - ए - दिल का , जहां है एक हमसफ़र , हमसफ़र , हमसफ़र।

सन्नाटे की ज़बान

कौन भला सन्नाटा फाँकता फिरे यहाँ सीख लिया पढ़ना हमने अब दूर के धड़कते दिलों की ज़बाँ सीधी ज़बानों में वो बात भी कहाँ

दोस्त

  मिल जाते हैं बहारों में और कभी ज़िंदगी की राहों में कुछ अजनबी से , कुछ पहचाने से कभी अनकहे से अफ़सानों से ज़िंदगी के इस सफ़र में चंद लम्हों के साथों ही   में दे जाते हैं मायने जैसे बंदिशों के बिस्तारों से

खामोशियों का शोर

  उनकी खामोशियों का शोर   उनकी खामोशियों का शोर   कुछ इस कदर आया , गहरा कि मेरे दिल की आवाज़ों ने कर लिया , ख़ुद ही पे पहरा